Stay blessed and happy, Although I am a truthful person,but after reading the essay,I will become more truthful than before. If people don’t seek truth and knowledge, we run the risk of becoming intellectually blind in ignorance. As human beings, we are so bombarded by gossip, loud noise and messages about how we should be living our lives, it’s no wonder many of us become overwhelmed and get confused about what we really want to say to each other.. Muaahhhhh. (2016, Dec 18). Copyright © 2012-18     RiseNotes!



All Rights Reserved. But knowing public truths and matters of great importance, one has merely to rely upon the facts and reports full of prejudices and falsifying notions. Slander may be involved and reputations can be ruined. Ignorance is very dangerous, for we can be easily manipulated by false information, and we will likely take the first piece of information given to us as fact rather than question it, and come to our own conclusions. He not only thanked the driver but also offered him a good driving job in his own company. Zooey believed her friend and ended the relationship, before finding out about the truth much later.

Comment document.getElementById("comment").setAttribute( "id", "ab3255cfbb016d05d08d8a33fad41110" );document.getElementById("ge3a02d1bc").setAttribute( "id", "comment" ); सत्य मानव की सबसे बड़ी शक्ति है। सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता। हमारे देश में तो राजा हरिश्चन्द्र जैसे सत्यवादी हुए हैं, जिनकी मिसाल आज तक दी जाती है। सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा की थी और आजीवन उसका पालन किया। उनका कहना था, ‘चन्द्र टरै, सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार।’ पै दृढ़ हरिश्चन्द्र को टरै न सत्य विचार।, सत्य का अर्थ है ‘सते हितम्’ अर्थात् जिसमें हित या कल्याण निहित हो। सत्य भूत, भविष्य एवं वर्तमान तीनों काल में एक सा रहता है तथा इससे यथार्थ का ज्ञान होता है। साधारण बातचीत में जो सच है, यथार्थ है उसे जानना, समझना, मानना, कहना एवं उसके अनुसार ही व्यवहार करना सत्य है। मानव बोध में सत्य के प्रति श्रद्धा एवं असत्य के प्रति घृणा स्वाभाविक रूप से पाई जाती है।, वाणी और मन का यथार्थ होना सत्य की पहचान है अर्थात् जो मन में है, वही हम वाणी से बोलें। सत्य सरल एवं सीधे स्वभाव से कहा जाता है, जबकि झूठ बोलने वाले के मन में कपट भाव छिपा होता है। हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में सत्य की अनेकानेक विशेषताएं बताई गई हैं।, महाराज मनु ने धर्म के दस लक्षण बताए हैं, जिनमें सत्य भी प्रमुख स्थान रखता है। ‘धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीविद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।’ अर्थात् धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( अंतर्मन और शरीर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों से धर्म सम्मन आचरण), धी ( सत् बुद्धि), विद्या, सत्य एवं अक्रोध यानी हमेशा शांत रहना।, सत्यमेव जयते नानृतम् अर्थात विजय सदैव केवल सत्य की ही होती है। सत्य ही धर्म है तथा जहां धर्म है वहीं विजय है।, महाभारत शांति पर्व में कहा गया है – ‘सत्यस्य वचनं श्रेयः’ यानि सत्य वाणी ही श्रेष्ठ है तथा ‘सत्यादपि हितं वदेत्’ अर्थात सत्यवाणी हित में ही बोली जानी चाहिए।, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ की रचना का प्रयोजन स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसको मिथ्या मानना ही सत्य अर्थ के प्रकाश को समझना है।, सत्य का महत्व तब ही है जबकि सत्य को जीवन में मन, वचन, कर्म से स्वीकार किया जाये तथा प्रयोग किया जाये। सत्य की महिमा का बखान करना, सत्य के विषय में उपदेश देना जितना सरल है, जीवन में सत्य का आचरण करना उतना ही कठिन है। सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति ही सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त करता है। सत्य के आचरण के आधार पर ही हम एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं। परस्पर विश्वास की नींव पर ही सम्पूर्ण समाज की रचना टिकी हुई है।, Story of Yudhisthira in Hindi युधिष्ठिर की कहानी, त्रेतायुग में सबसे बड़े सत्यवादी माने जाने वाले धर्मराज युधिष्ठिर भी अपने जीवन में एक बार सत्य आचरण में विफल हो गए थे। महाभारत काल में यह विख्यात था कि युधिष्ठिर कभी झूठ नहीं बोलते। इसीलिए द्रोणाचार्य को जब यह सूचना मिली की उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। इस पर द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से पूछा, ‘क्या यह सच है कि मेरा पुत्र अश्वत्थामा मारा गया।’ इस पर युधिष्ठिर ने सम्पूर्ण सत्य बताने के बजाय उत्तर दिया- ‘अश्वत्थामा हतोहतः, नरो वा कुञ्जरो वा।’ आधा वाक्य तो युधिष्ठिर ने तेज आवाज में बोला, लेकिन ‘नरो वा कुञ्जरो वा’ उन्होंने धीमे स्वर में कहा, इसी समय भगवान श्रीकृष्ण ने शंख भी बजा दिया ताकि द्रोणाचार्य को सुनाई ना पड़े। युधिष्ठिर का अर्धसत्य सुनकर द्रोणाचार्य अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर बैठ गए।  अवसर का लाभ उठाते हुए ध्रष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया। इस अर्धसत्य का कलंक युधिष्ठिर के सिर पर आज भी है।, How to follow truth जीवन में सत्य का पालन कैसे करें, सत्य का पालन करने के लिए सत्य का ज्ञान होना परम आवश्यक है। अक्सर देखने में आता है कि व्यक्ति अज्ञान, स्वार्थ, अहंकार, अंध विश्वास, हठ एवं दुराग्रह के चलते सत्य के रूप में असत्य ही बोलते रहता है। अज्ञानी व्यक्ति अपने अज्ञान के कारण असत्य को ही सत्य मान लेते हैं।, अगर एक बर्तन में गोबर भरा हो तो कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति उस बर्तन में दूध नहीं डालेगा जब तक कि उसमें से गोबर पूरी तरह साफ नहीं दिया जाए। ठीक इसी प्रकार हमारे मन-मस्तिष्क में सत्य तभी समा सकेगा, जब हम उसमें से असत्य को बाहर निकाल देंगे। तात्पर्य यह है कि सत्य को ग्रहण करने के लिए आवश्यक है कि हम असत्य को पूरी तरह अपने जीवन से बाहर निकालना होगा।, ‘तीन चीजें लंबे समय तक छिपाई नहीं जा सकतीं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य।’ – बुद्ध, ‘प्रकृति को समझें, प्रकृति सच्चाई की दोस्त है।’- एडवर्ड यंग, ‘सच सूरज की तरह है आप इसे कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं, लेकिन इसे छुपाया नहीं जा सकता।’-  एल्विस प्रेस्ली, ‘शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान की प्रगति और सच्चाई का प्रसार है।’ -जॉन एफ कैनेडी, ‘अगर आप सच्चाई बताते हैं, तो आपको कुछ भी याद रखना नहीं पड़ता है।’ – मार्क ट्वेन, ‘कहा जाता है कि संघर्ष अच्छे और बुरे के बीच है जबकि असली संघर्ष सत्य और झूठ के बीच है।’- डॉन मिगुएल रुइज, ‘नैतिकता चीजों का आधार है और सच्चाई नैतिकता का मूल तत्व है।’ –, ‘सबसे बड़ी सच्चाई ईमानदारी है, और सबसे बड़ा झूठ बेईमानी है।’ – अबू बक्र, ‘आधा सच एक महान झूठ है।’- बेंजामिन फ्रैंकलिन, ‘सच्चाई बुद्धि की पुस्तक का पहला अध्याय है।’ – थॉमस जेफरसन, Nostradamus Predictions and Biography in Hindi, भारत के पहले फील्ड मार्शल के.




Truth Essay. Rather than becoming ignorant, and thinking that the world is just your home, you could go outside, just as the prisoner did, and explore what the world truly is. Although these principles “do not provide ordered rules, these principles can help doctors and other health care workers to ake decisions when reflecting on moral issues that arise at work.

Similarly, Plato, shares this view. When he gain enough knowledge he was purified. Show More.

One of the most prominent African American writers who sought out to portray true representation was Lorraine Hansberry.
Today, there are more methods one might use to promote the spread of false, This can be harmful if truth is absent. The infected part is immediately attacked upon without any haste or twists. In case you can’t find a sample example, our professional writers are ready to help you with writing i really liked this essay this really touched my heart THIS WAS AWESOME, SUPERB, AMAZING, WONDERFUL and much more.

Secondly, he discusses the importance of candor in human relationships, and that dishonesty is socially impairing our current society. Lying also strips “the patient’s ability to be autonomous and fails to show respect for persons. …

Truth is the virtue by which all your sins can be averted. The Hill People are forbidden to go east to the Place, that “we seek nothing by speaking except to teach.” (94) His theory is that in order to genuinely learn, one must seek the truth within his or her own soul. The path of truth is not easy to walk on. It is this bidirectional theory that makes philosophy so profoundly intellectual. Although these principles “do not provide ordered rules, these principles can help doctors and other health care workers to ake decisions when reflecting on moral issues that arise at work. Being truthful is the first step to loyalty, faith and honesty.

Lies and deceptions stem from not telling the truth. For example, if one is morally corrupt, they are more inclined to disregard any obligation to give a truthful statement. The concept of a truth commission was to provide a form and forum for those wronged in civil wars and dirty wars, to reveal the truth of what happened during them. But as we all know that truth always triumphs. He always says what he means.

This even leads to different versions of "truths" when seen from the angles and outlooks of opposing parties.